Category: धर्म-आध्यात्म

  • न्यू दिल्ली फिल्म फेस्टिवल 2025: ‘माँ काली’ ने जीता बेस्ट फीचर फिक्शन फिल्म अवॉर्ड

    न्यू दिल्ली फिल्म फेस्टिवल 2025: ‘माँ काली’ ने जीता बेस्ट फीचर फिक्शन फिल्म अवॉर्ड

    नई दिल्ली, 23 फरवरी 2025: देश की राजधानी में JIFF ट्रस्ट द्वारा आयोजित 8वां न्यू दिल्ली फिल्म फेस्टिवल (NDFF) 2025 का भव्य आयोजन 22 फरवरी को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में संपन्न हुआ। इस प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में देश-विदेश के 250 फिल्मकारों ने हिस्सा लिया, जिसने भारतीय और वैश्विक सिनेमा के बेहतरीन पहलुओं को एक मंच पर प्रदर्शित किया।

    विजेताओं की चमक

    फेस्टिवल में अवॉर्ड्स का वितरण पूर्व उपाध्यक्ष FIAPF और IMPPA के अध्यक्ष श्री टी. पी. अग्रवाल, साथ ही NDFF और जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) के संस्थापक हनु रोज ने किया। इस साल की सबसे चर्चित फिल्म ‘माँ काली’ ने बेस्ट फीचर फिक्शन फिल्म का अवॉर्ड अपने नाम किया। विजय यलकांति के निर्देशन में बनी इस फिल्म में राइमा सेन ने मुख्य भूमिका निभाई है। इसके अलावा अन्य श्रेणियों में भी बेहतरीन फिल्मों को सम्मानित किया गया:

    • बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म: Brendan Gleeson’s Farewell To Hughes’s (निर्देशक: Ciarán Ó Maonaigh, आयरलैंड)
    • बेस्ट एनीमेशन फीचर/डॉक्यूमेंट्री फिल्म: Outsider. Freud (निर्देशक: Yair Qedar, ऑस्ट्रिया)
    • बेस्ट एनीमेशन शॉर्ट फिल्म: Baahubali: Crown of Blood Season 1 – Episode 6 (निर्देशक: जीवन जे. कांग, नवीन जॉन, भारत)
    • बेस्ट शॉर्ट फिक्शन फिल्म: अंसुनी चिनखे (निर्देशक: पार्थसारथी महंत, भारत)
    • बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म: The Poem We Sang (निर्देशक: एनी सक्काब, फिलिस्तीन)
    • बेस्ट मोबाइल शॉर्ट फिल्म: Broken (निर्देशक: आयुष बंसल, भारत)
    • बेस्ट वेब सीरीज: Your Democracy (निर्देशक: ग्लोरिया जेने’ ब्राउन-मार्शल, अमेरिका)
    • बेस्ट स्क्रीनप्ले: Sons of Abraham (लेखक: जूलियाना मार्चैंड, अमेरिका)

    ‘माँ काली’ की कहानी ने बांधा दर्शकों का दिल

    राइमा सेन अभिनीत ‘माँ काली’ ने अपनी संवेदनशील और गहरी कहानी से दर्शकों का ध्यान खींचा। यह फिल्म 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की घोषणा के बाद एक बंगाली शरणार्थी शिविर में जश्न की पड़ताल करती है। कहानी एक युवा पत्रकार की नजर से 16 अगस्त 1946 को हुए ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ की भयावह घटनाओं को उजागर करती है, जिसने हिंदू बंगालियों के जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। फिल्म को देखने के लिए दिल्लीवासियों की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे इसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

    फेस्टिवल की खास झलकियां

    अवॉर्ड सेरेमनी से पहले पांच बेहतरीन फिल्मों की स्क्रीनिंग आयोजित की गई, जिसने दर्शकों को सिनेमाई अनुभव से जोड़े रखा। फेस्टिवल ने न केवल पुरस्कारों के जरिए प्रतिभाओं को सम्मानित किया, बल्कि दिल्ली में फिल्म संस्कृति को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाई।

    उद्योग दिग्गजों ने की सराहना

    टी. पी. अग्रवाल ने कहा, “पिछले चार दशकों से मैं सिनेमा इंडस्ट्री से जुड़ा हूं। एक समय था जब दिल्ली में फिल्म संस्कृति लगभग खत्म हो रही थी, लेकिन NDFF ने इसे फिर से जीवित कर दिया। मैं चाहता हूं कि अगला संस्करण 3 से 5 दिन का हो।” इस पर हनु रोज ने जवाब दिया, “हां, अगला संस्करण 3 दिन का होगा!”

    एक यादगार समापन

    NDFF 2025 के डायरेक्टर सतीश कपूर ने सभी प्रतिभागियों, दर्शकों और आयोजकों का धन्यवाद किया और अगले संस्करण में फिर से मिलने का वादा किया। इस फेस्टिवल ने सिनेमा प्रेमियों को यादगार पल दिए और दिल्ली को एक बार फिर फिल्म संस्कृति के नक्शे पर मजबूती से स्थापित किया।

  • व्हाट्सएप पर निकाह 12वीं के छात्र-छात्रा के परिवारों में मचा हड़कंप

    व्हाट्सएप पर निकाह 12वीं के छात्र-छात्रा के परिवारों में मचा हड़कंप

    मुजफ्फरपुर में 12वीं के छात्र-छात्रा ने व्हाट्सएप पर किया ‘निकाह’,

    तीन बार ‘कबूल है’ लिखकर एक-दूसरे को जीवनसाथी मान लिया  

    बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र और छात्रा ने व्हाट्सएप पर ‘निकाह’ किया। दोनों ने व्हाट्सएप चैट के माध्यम से तीन बार ‘कबूल है’ लिखकर एक-दूसरे को जीवनसाथी मान लिया। इस घटना के बाद दोनों परिवारों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

    नगर थाना क्षेत्र के पंकज मार्केट निवासी छात्र और बोचहां थाना क्षेत्र की रहने वाली छात्रा के बीच पिछले दो वर्षों से प्रेम संबंध था। हाल ही में इंटरमीडिएट की परीक्षाओं के दौरान परिवारों द्वारा सख्ती बढ़ने के कारण दोनों की मुलाकातें कम हो गईं। इससे परेशान होकर दोनों ने व्हाट्सएप पर तीन बार ‘कबूल है’ लिखकर निकाह करने का निर्णय लिया।

    छात्र की बहन ने उसके व्यवहार में आए बदलाव के बाद नगर थाना में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने छात्र को थाने बुलाकर उसके मोबाइल की जांच की, जिसमें लड़की के साथ उसकी कई तस्वीरें और व्हाट्सएप चैट्स मिलीं। चैट में लड़की ने तीन बार ‘कबूल है’ लिखकर उसे अपना पति मान लिया था। पुलिस अब दोनों परिवारों से बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही है।

    सामाजिक और कानूनी पहलू की अगर बात की जाये तो ये दोनों अलग-अलग समुदाय से संबंधित हैं, जिससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है। नाबालिग होने के कारण उनका यह कदम कानूनी दृष्टिकोण से भी गलत है। पुलिस और परिवारजन इस स्थिति को संभालने में जुटे हैं, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।

    यह घटना आधुनिक तकनीक के उपयोग और युवा पीढ़ी के बीच बढ़ती भावनात्मक जटिलताओं को दर्शाती है। परिवारों और समाज को मिलकर ऐसे मामलों में समझदारी और संवेदनशीलता से काम लेना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

  • चंद्रपूर भाट समाज वरोरा भद्रावती तालुका कार्यकारिणी हल्दी कुंकु एवं स्नेह मिलन कार्यक्रम आयोजित

    चंद्रपूर भाट समाज वरोरा भद्रावती तालुका कार्यकारिणी हल्दी कुंकु एवं स्नेह मिलन कार्यक्रम आयोजित

    चंद्रपूर भाट समाज वरोरा भद्रावती तालुका कार्यकारिणी हल्दी कुंकु एवं स्नेह मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया | कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण से हुई |कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों में कार्यक्रम के अध्यक्ष राजकुमार चव्हाण, उद्घाटनकर्ता अप्पाजी बाविस्कर, वैशालीताई बाविस्कर एवं जिला कार्यकारिणी चंद्रपुर सचिव प्रमोद जी. बाविस्कर एवं जिला कार्यकारिणी सह सचिव सुनील जी. चव्हाण एवं जिला कार्यकारिणी सदस्य प्रशांत जी. पुरटकर जिला कार्यकारिणी सदस्य अमोल जी. पुरटकर व संगीता ताई चंदेलकर की उपस्थिति में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ

    वरोरा भद्रावती एवं  यह चंद्रपुर में एकत्र हुए कई समुदाय के सदस्यों की उपस्थिति में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन अश्विनीताई हेडाऊ ने किया तथा कार्यक्रम का परिचय मधुकरराव पुरटकर ने दिया। कार्यक्रम का अध्यक्ष भाषण राजकुमार चव्हाण ने दिया तथा उद्घाटकीय भाषण आप्पाजी बाविस्कर ने दिया और जिला सचिव प्रमोद बाविस्कर ने इस कार्यक्रम का महत्व बताया और वैशालीताई बाविस्कर ने महिलाओं का मार्गदर्शन किया। 

     इस बार पुराने तालुका पदाधिकारी को बर्खास्त कर नये पदाधिकारी का चयन किया गया , इस अवसर पर वरोरा व भद्रावती दो तालुकों को मिलाकर एक तालुका कार्यकारणी बनाई गई। जिसके अध्यक्ष राजकुमार चव्हाण,उपाध्यक्ष प्रशांत पुरटकर,सचिव मधुकरराव पुरटकर,संयुक्त सचिव प्रशांत हेडाऊ,कोषाध्यक्ष मारुति गजबंदे एवं सदस्य पंकज चव्हाण राजेश गजबंदे तथा महिला सदस्य मायाताई खडसे,अश्विनीताई हेडाऊ सहित नौ सदस्यों की तालुका कार्यकारिणी की घोषणा की गई।

    इस अवसर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में अश्विनीताई हेडाऊ स्नेहा ताई चव्हाण और प्रतीक्षा ताई बाविस्कर ने समूह नृत्य किया और यहाँ आये बालगोपाल ने अपने नृत्य प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया।  इसके बाद महिलाओं के लिए म्यूजिकल चेयर गेम और कपल्स गेम का भी आयोजन किया गया। और यहाँ आई सभी महिलाओं को हल्दीकुंकु दिया गया और वान वितरण किया गया जिसके बाद श्रीमती मायाताई खडसे ने प्रार्थना और राष्ट्रवंदन के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए अपना आभार व्यक्त किया।

  • हिंदू धर्म संस्कृति के पर्याय कुंभ महापर्व को सस्ती लोकप्रियता और वायरल होने की चाहत में बदनाम करने की नापाक कोशिश करते यू ट्यूबर

    हिंदू धर्म संस्कृति के पर्याय कुंभ महापर्व को सस्ती लोकप्रियता और वायरल होने की चाहत में बदनाम करने की नापाक कोशिश करते यू ट्यूबर

    आलेख ©® डॉ राकेश वशिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादकीय लेखक

    कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है जो हर 12 साल पर लगता है। इस बार महाकुंभ प्रयागराज में लगा है जिसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो चुकी है, जिसका समापन 26 फरवरी 2025 को होगा। इस मेले का आयोजन खासतौर पर चार पवित्र स्थानों पर होता है – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। इन स्थानों को पवित्र माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब यहां पर अमृत की कुछ बूंदें गिरी थीं। कुंभ मेला साधु-संतों, गुरुओं और भक्तों के मिलन का एक बड़ा केंद्र है, जहां लोग भक्ति, ज्ञान और सेवा का आदान-प्रदान करते हैं। यह मेला आस्था और ध्यान के लिए भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
    महाकुंभ साधु-संन्यासियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ में स्नान करने से 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। साधु-संत इस समय प्रभु का ध्यान करते हैं और अपने मोक्ष के लिए महाकुंभ में स्नान करने जाते हैं।

    इस बार के कुंभ मेले में कुछ तथाकथित यू ट्यूब चैनल चलाने वाले चंद लाइक्स पाने और वायरल हो जाने की चाहत में हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रतीक महापर्व कुंभ को बदनाम करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं विपक्षी पार्टी के नेता भी अपनी ओछी राजनीति ओछी बयानबाजी से कुंभ को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कभी माला बेचने वाली लड़की की आंखों के नाम पर कभी आईटी बाबा की पुरानी जिंदगी को कुरेदने कभी साधु संन्यासियों अघोरियों की कैथोड तपस्या उनके हठयोग को ढोंग ढकोसला साबित करने के चक्कर में कभी बम ब्लास्ट हो सकता है कि अफवाह चला कर कभी आग लगने की घटना को मिर्च मसाला लगा परोसने के साथ कभी उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा मेला स्थल पर मुफ्त कॉन्डम बांटने की झुठी खबर वायरल करने के साथ आदि अनेक उदाहरण सामने आ रहे हैं सस्ती प्रसिद्धि पाने और वायरल होने की चाहत में वामपंथी विचारधारा के लोग हिन्दू संस्कृति को बदनाम करने की कोशिश मै जी जान से जुटे हुए हैं। प्रयागराज कुंभ मेले में 19 जनवरी को आग लगने की दुर्घटना का एक वीडियो इस गलत दावे से वायरल है कि मेले में बम ब्लास्ट हुआ था। जबकि जांच में पाया गया कि यह वायरल दावा गलत है। बल्कि मेला क्षेत्र में गीता प्रेस के पंडाल में गैस सिलेंडर लीक होने से आग लगने की यह घटना घटी थी। प्रयागराज महाकुंभ मेले में पांच लाख कंडोम बांटने के दावे से एक फेक न्यूजपेपर कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल है। इस खबर में बताया गया कि यूपी सरकार कुंभ मेले में पांच लाख कंडोम बांटेगी। जबकि जांच करने पर पाया कि यह खबर फर्जी है। यूपी सरकार या प्रयागराज मेला प्रशासन ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। महाकुंभ मेला क्षेत्र के एसएसपी राजेश द्विवेदी ने बताया कि सरकार द्वारा मेले में कंडोम बांटने का दावा गलत है।
    कुछ आतंकी संगठनों ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 को टारगेट करने की साजिश बनाई है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) ने UP के होम डिपार्टमेंट को एक गोपनीय रिपोर्ट भेजी है।स्टेट LIU की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आतंकी साधु, पुजारी, अघोरी और गेरुआ वस्त्र धारण कर मेले में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे ही कुछ इनपुट IB की रिपोर्ट में भी दिए गए हैं।

    उत्तरप्रदेश पुलिस और प्रशासन साथ ही स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात सतर्कता बरतते हुए संपूर्ण व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं व्यवस्थाओं को लेकर किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं होगी साथ ही व्यवस्था बिगाड़ने वाली मेले ओर हिंदू धर्म को बदनाम करने की साजिश करने वालों को कठोर दंड दिया जाएगा। इसी बीच श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने दावा किया कि कुछ असामाजिक तत्व अलग-अलग माध्यमों से सनातन धर्म और उसकी संस्कृति को अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने हाल के दिनों में सामने आए वीडियो और घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग जानबूझकर धार्मिक स्थलों पर अनुचित कृत्यों के माध्यम से समाज में विभाजन और असहमति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। मेले की आड़ में नशे के तस्कर भी नशे की खेप को मेले में खपाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं जाली नोटों का धंधा करने वाले नकली नोटों की खेप को मेले में खपाने के लिए सक्रिय हो चुके हैं कुछ वामपंथी विचारधारा के लोग और धर्मपरिवर्तन गिरोह भी मेला स्थल मै छद्मनाम और छद्म वेशभूषा के साथ हिन्दू धर्म और संस्कृति को लगातार टारगेट कर बदनाम करने में लगे हुए हैं जरूरत है ऐसे लोगों को पहचान सभ्य और शांत वातावरण वाले समाज के लिए नासूर बने लोगों को उखाड़ फेंकने का समय आ गया है।
    कुंभ करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक पर्व है जिसकी ख्याति सम्पूर्ण विश्व में फैली हुई है और संपूर्ण विश्व से लोग हिन्दू धर्म संस्कृति वैदिक शिक्षा अध्यात्म आदि से आकर्षित होकर इसके अनुयाई बनने इसे और भी जानने के उद्देश्य से इसमें शामिल होने के लिए अपने देश से सक्रिय रूप से आते हैं किंतु यहां की लोकल मीडिया यूट्यूबर आदि बजाय कुंभ की खूबसूरती दिखाने बजाय हिन्दू धर्म संस्कृति वैदिक आचार विचार योग साधना और आध्यात्मिक कला संस्कृति को दिखाने के माला बेचने वाली लड़की की आंखों को दिखाने में लगे हैं एक सुनियोजित साजिश के तहत हिन्दू धर्म को बदनाम करने में लगे हुए हैं जो कि निंदनीय है और कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं जरूरत है ऐसे लोगों को पहचान सभ्य और शांत वातावरण वाले समाज के लिए नासूर बने लोगों को उखाड़ फेंकने का समय आ गया है।

    एक सुनिश्चित सुनियोजित साजिश के तहत टूलकिट के माध्यम से कुंभ मेला और सनातन हिंदू धर्म को बदनाम करना एक बहुत बड़ी सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक साजिश, पाप और अपराध है और जो लोग ऐसा कर रहे हैं मेरी उनसे प्रार्थना है कि जो आपको राजनीति करनी हो कीजिए लेकिन सौ करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं का अपमान मत कीजिए। यह एक बहुत बड़ी घिनौनी हरकत आप कर रहे हैं और यह देश आपको कभी माफ नहीं करेगा। मैं सारे देश के लोगों से आह्वान करता हूँ कि ऐसी सनातन विरोधी और भारत विरोधी ताकतों का मिलकर के बहिष्कार और विरोध करें।

    आलेख: ©® डॉ राकेश वशिष्ठ वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादकीय लेखक

  • सीरिया के हामा शहर में क्रिसमस ट्री जलाने के विरोध में भारी हंगामा

    सीरिया के हामा शहर में क्रिसमस ट्री जलाने के विरोध में भारी हंगामा

    सीरिया के हामा शहर में मंगलवार को क्रिसमस ट्री जलाने की घटना के विरोध में ईसाई समुदाय के हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। इस घटना ने पूरे इलाके में तनाव का माहौल पैदा कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने सीरियाई झंडे और ईसाई धर्म के प्रतीक क्रॉस के साथ अपना विरोध दर्ज किया।

    सीरिया की असद सरकार को हटाने वाले विद्रोही गुट HTS (Hay’at Tahrir al-Sham) ने आरोप लगाया कि इस घटना में शामिल लोग विदेशी लड़ाके थे और उन्हें हिरासत में ले लिया गया है। HTS ने यह भी दावा किया कि वह इस्लामी शासन के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, और जल्द ही जलाए गए क्रिसमस ट्री को ठीक किया जाएगा।

    इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें दो नकाबपोश लोग सुलैबिया शहर के क्रिसमस ट्री में आग लगाते हुए दिखाई दे रहे थे। सुलैबिया शहर ईसाई बहुल है, और यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक भावना को ठेस पहुंची है।

    प्रदर्शनकारी सीरिया की सड़कों पर बने हुए हैं और उनकी प्रमुख मांग है कि नए इस्लामी शासन में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए

  • अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नया विवाद: क्या बांग्लादेश के खिलाफ हिंदू संगठनों का आंदोलन साम्प्रदायिक एजेंडा है?

    अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नया विवाद: क्या बांग्लादेश के खिलाफ हिंदू संगठनों का आंदोलन साम्प्रदायिक एजेंडा है?

    त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। इस मुद्दे ने अब एक नया मोड़ ले लिया है जब त्रिपुरा के अगरतला में हिंदू संघर्ष समिति (HSS) के सदस्यों पर बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग पर हमला करने और वहां से बांग्लादेश का झंडा हटाने का आरोप लगा।हिंदू संघर्ष समिति, जो हाल ही में अस्तित्व में आई है, खुद को हिंदुत्ववादी संगठनों का एक छाता संगठन कहती है। इसके नेता शंकर रॉय ने दावा किया है कि यह संगठन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जनमत जुटाने के लिए बना है।
    HSS के सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने अगरतला में बांग्लादेशी उच्चायोग की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। हालांकि, संगठन ने इस घटना को “जनता के गुस्से की स्वाभाविक प्रतिक्रिया” बताया है।
    विहिप नेता पूर्ण चंद्र मंडल ने दावा किया,
    “हमारा उद्देश्य केवल यह है कि भारत सरकार बांग्लादेश पर दबाव बनाए ताकि वहां हिंदुओं पर अत्याचार बंद हो और गिरफ्तार भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जाए।”
    पश्चिम बंगाल में भी विहिप, बजरंग दल और संन्यासी संगठनों ने बांग्लादेश के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने बांग्लादेशी मुसलमानों का बहिष्कार करने की मांग की है। संगठन के नेता चंद्रचूड़ गोस्वामी ने कहा:
    “जब तक बांग्लादेश भारतीय ध्वज के अपमान के लिए माफी नहीं मांगता, हमें उनके नागरिकों को भारत में कोई सेवा नहीं देनी चाहिए।”इस पूरे प्रकरण में बीजेपी पर राजनीतिक फायदा उठाने के आरोप लगे हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेताओं ने आरोप लगाया है कि बीजेपी इन मुद्दों का इस्तेमाल हिंदुओं को भड़काने और ध्रुवीकरण के लिए कर रही है।
    टीएमसी नेता कुनाल घोष ने कहा:
    “बांग्लादेश में जो हो रहा है वह अस्वीकार्य है। हमारी मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से कार्रवाई की अपील की है। लेकिन बीजेपी यहां रैलियां क्यों कर रही है? उन्हें केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए।”
    इस घटना के बाद त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा:
    “शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रह सकता है, लेकिन ऐसी गतिविधियां पूरी तरह से अनुचित हैं।”
    कुछ संगठनों ने भारत सरकार से बांग्लादेश के साथ सभी संबंध तोड़ने की मांग की है।
    यह मामला सिर्फ धार्मिक अधिकारों का नहीं बल्कि इसके पीछे बड़ा राजनीतिक खेल भी है, जो भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में नई जटिलताएं पैदा कर सकता है।

  • Naga Chaitanya और Sobhita Dhulipala की शादी: क्या सच में Samantha से तुलना अब खत्म होगी?

    Naga Chaitanya और Sobhita Dhulipala की शादी: क्या सच में Samantha से तुलना अब खत्म होगी?

    साउथ के सुपरस्टार नागा चैतन्य और Made in Heaven फेम सोभिता धुलिपाला की शादी ने फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। यह शादी हैदराबाद के Annapurna Studios में हुई, जो चैतन्य के दादा, अक्किनेनी नागेश्वर राव द्वारा स्थापित किया गया था। इस शादी को पारंपरिक तेलुगु रीति-रिवाजों के साथ आयोजित किया गया, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज सितारे जैसे राम चरण, अल्लू अर्जुन, प्रभास और चिरंजीवी शामिल हुए।

    शादी को लेकर एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि इसके स्ट्रीमिंग राइट्स Netflix ने 50 करोड़ रुपये में खरीदे हैं। सवाल यह है कि क्या यह शादी नागा चैतन्य और उनकी पूर्व पत्नी सामंथा रुथ प्रभु की कहानी को अब पूरी तरह से खत्म कर देगी? गौरतलब है कि सामंथा और चैतन्य का तलाक भी सुर्खियों में रहा था, और उनकी शादी भी उसी स्टूडियो में हुई थी।

    खास बात यह है कि जहां चैतन्य और सोभिता अपनी शादी को पारंपरिक और घरेलू रखना चाहते थे, वहीं सामंथा की शादी ग्लैमर और हाई-प्रोफाइल डिज़ाइनर आउटफिट्स के लिए चर्चित थी। क्या यह नई जोड़ी साउथ इंडस्ट्री में नई परिभाषा गढ़ेगी, या फिर पुरानी छवि के साथ तुलना से जूझती रहेगी? शादी के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर सामंथा के प्रशंसकों ने इस शादी को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं।

    यह शादी ना सिर्फ चैतन्य के लिए, बल्कि अक्किनेनी परिवार के लिए भी एक बड़ी घटना थी, क्योंकि यह पहला बड़ा आयोजन था जो ANR की जन्म शताब्दी पर उनकी प्रतिमा के सामने हुआ। अब देखना यह है कि यह शादी चैतन्य और सोभिता के करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाती है या विवादों के घेरे में रखती है।

  • धर्म संकट: बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से भड़का भारत, आंदोलन की लहर

    धर्म संकट: बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से भड़का भारत, आंदोलन की लहर

    जयपुर: बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी ने पूरे हिंदू समाज को आक्रोशित कर दिया है। जयपुर में सर्व हिंदू समाज ने बुधवार को बड़ा प्रदर्शन किया, जिसमें संतों, राजनेताओं और समाज के विभिन्न वर्गों ने हिस्सा लिया। यह प्रदर्शन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ था।
    चिन्मय कृष्ण दास, जो ISKCON मंदिर के प्रमुख संत हैं और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाते रहे हैं, को हाल ही में ढाका पुलिस ने कथित तौर पर बांग्लादेशी झंडे के अपमान के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस गिरफ्तारी के बाद ढाका और चटगांव समेत कई शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों पर हमला भी हुआ, जिसमें कई लोग घायल हो गए।
    भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। बीजेपी सांसदों ने संसद में इस मुद्दे को उठाते हुए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालने की मांग की है। पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शन की योजना बनाई गई है, जिसमें सीमा बंद करने तक की चेतावनी दी गई है।सर्व हिंदू समाज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक ज्ञापन भेजा है, जिसमें बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने, धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने और गिरफ्तार संत को रिहा करने की मांग की गई है। जयपुर में प्रदर्शन का समापन हनुमान चालीसा के सामूहिक पाठ के साथ हुआ।यह मामला अब एक अंतरराष्ट्रीय विवाद का रूप ले चुका है। सवाल यह है कि क्या बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की स्थिति में सुधार होगा, या यह सिर्फ एक और राजनीतिक मुद्दा बनकर रह जाएगा?

  • संभल मस्जिद विवाद: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, फिर भी सांप्रदायिक तनाव!

    संभल मस्जिद विवाद: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, फिर भी सांप्रदायिक तनाव!

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल के शाही जामा मस्जिद के सर्वे के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही को 8 जनवरी तक रोक दिया है। अदालत ने इस मामले में आशा जताई कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश तक निचली अदालत कोई कदम नहीं उठाएगी। यह आदेश 19 नवंबर को संभल जिला अदालत द्वारा मस्जिद के सर्वे के आदेश के बाद आया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक उच्च न्यायालय इस मामले में उचित आदेश नहीं देता, तब तक निचली अदालत को किसी भी कार्यवाही से रोका जाए। अदालत ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर अदालतों ने अभी तक कोई राय नहीं दी है और मामले को लंबित रखा है, लेकिन शांति और सद्भाव बनाए रखना जरूरी है।

    इस फैसले के बाद, शाही जामा मस्जिद के प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने 19 नवंबर के आदेश पर एकतरफा रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि जिस तरह से सर्वे के आदेश दिए गए, उससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ने का खतरा है और यह देश की धर्मनिरपेक्षता को नुकसान पहुंचा सकता है।

    याचिका में यह भी कहा गया है कि जिस प्रकार से सर्वे का आदेश एक दिन में ही दिया गया, उससे देशभर में धार्मिक उन्माद फैलने की संभावना है। याचिका में यह भी मांग की गई कि सर्वे रिपोर्ट को सील कवर में रखा जाए और मस्जिद के मामले में कोई भी निर्णय उच्च न्यायालय के आदेश तक स्थगित रखा जाए।

    वहीं, इस मुद्दे पर नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी आईं। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केपी मौर्य ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी। उन्होंने समाजवादी पार्टी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। समाजवादी पार्टी के नेता जिया उर रहमान बारक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि यह देश के हित में है।

    संभल में नवंबर 19 को कोर्ट के आदेश के बाद से तनाव बढ़ गया था। आरोप है कि इस मस्जिद के स्थल पर पहले हरिहर मंदिर था। 24 नवंबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पत्थरबाजी और आगजनी हुई।

    सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इस विवाद को और भी जटिल बना सकता है, क्योंकि मस्जिद और मंदिर के बीच के ऐतिहासिक विवाद ने देशभर में उन्माद और सांप्रदायिक तनाव को जन्म दिया है।

    यह मामला इस बात का संकेत देता है कि धार्मिक स्थलों पर विवादों के समाधान में न्यायिक प्रक्रिया कितनी संवेदनशील हो सकती है, और अदालतों की भूमिका इस तरह के मुद्दों पर बहुत बड़ी है।

  • स्जिदों के सर्वे पर AIMPLB का धमकी भरा फरमान: देश में हो सकते हैं दंगे!

    स्जिदों के सर्वे पर AIMPLB का धमकी भरा फरमान: देश में हो सकते हैं दंगे!

    ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर मस्जिदों पर याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की है। यह पत्र उस समय आया है जब उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश निचली अदालत ने दिया है।

    AIMPLB ने 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर कहा है कि निचली अदालतों द्वारा मस्जिदों पर फैसले लेना इस कानून का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि ज्ञानवापी मस्जिद, शाही ईदगाह, भोजशाला मस्जिद, टीले वाली मस्जिद और शाही जामा मस्जिद पर किसी भी याचिका की सुनवाई न की जाए।

    AIMPLB के प्रवक्ता डॉ. इलियास ने मुख्य न्यायाधीश से अपील की है कि वे सुओ मोटो कार्रवाई करते हुए निचली अदालतों को इस मामले में हस्तक्षेप करने से रोकें। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो हालात विस्फोटक हो सकते हैं और इसके लिए केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार होंगे।

    इस मुद्दे पर AIMPLB ने इशारा किया है कि अगर अदालतें मस्जिदों के सर्वेक्षण की इजाजत देती रहीं, तो देश में बड़े पैमाने पर हिंसा हो सकती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए 1985 के कोलकाता कुरान केस का जिक्र किया, जब कोलकाता हाई कोर्ट में कुरान पर प्रतिबंध लगाने की याचिका दायर की गई थी। उस समय भी बांग्लादेश और भारत में मुस्लिम समुदाय ने हिंसक प्रदर्शन किए थे।
    इस केस में अधिवक्ता चंदमल चोपड़ा ने याचिका दायर की थी कि कुरान की आयतें भारतीय दंड संहिता की धारा 153A और 295A के तहत ‘दंगे भड़काने’ के योग्य हैं। यह मामला न्यायमूर्ति खस्तगीर के पास गया था, जिन्होंने इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया था। इसके बाद वामपंथी सरकार और मुस्लिम संगठनों ने इसका तीखा विरोध किया।

    विरोध इतना उग्र हो गया था कि बांग्लादेश में जामात-ए-इस्लामी के नेतृत्व में 20,000 से अधिक लोगों ने भारतीय उच्चायोग पर हमला करने की कोशिश की थी। भारत में भी मुस्लिम समुदाय ने रांची, जम्मू-कश्मीर और कोलकाता में हिंसक प्रदर्शन किए थे।

    AIMPLB ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अगर अदालतों ने मस्जिदों के सर्वेक्षण को अनुमति दी, तो देश में हिंसा भड़क सकती है, जिसका जिम्मेदार प्रशासन होगा।
    AIMPLB का मानना है कि अगर मस्जिदों के सर्वेक्षण की अनुमति दी गई, तो एक बार फिर ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है। प्रशासन पर यह जिम्मेदारी होगी कि वह ऐसे किसी भी कदम को रोके, जिससे देश में शांति भंग हो।