राजस्थान विधानसभा में अविनाश गहलोत की टिप्पणी पर विपक्ष का धरना शुरू
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 6 विधायकों का हुआ निलंबन
राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को उस समय जबरदस्त हंगामा मच गया, जब राज्य सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत की एक टिप्पणी पर विपक्षी विधायकों ने कड़ा विरोध जताया। इस टिप्पणी को लेकर सदन में नारेबाजी और शोर-शराबा शुरू हो गया, जिसके बाद मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने निलंबन प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के तहत कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद सिंह डोटासरा, रामकेश मीणा, अमीन कागजी, जाकिर हुसैन गैसावत, हाकम अली और संजय कुमार को बजट सत्र की शेष कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही को 24 फरवरी, सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
हंगामा तब शुरू हुआ, जब मंत्री अविनाश गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर एक विवादास्पद टिप्पणी की। विपक्षी विधायकों ने इसे आपत्तिजनक और स्तरहीन बताते हुए माफी की मांग की। कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और गहलोत पर हमला बोला। विपक्ष का कहना था कि यह टिप्पणी न केवल असम्मानजनक थी, बल्कि देश के लिए शहीद हुईं इंदिरा गांधी की शहादत का अपमान भी थी। जवाब में सत्तापक्ष ने विपक्ष पर सदन की गरिमा भंग करने का आरोप लगाया।
हंगामे के बीच मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने छह विपक्षी विधायकों के खिलाफ निलंबन प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। निलंबित विधायकों में कांग्रेस के बड़े चेहरे शामिल हैं, जिनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी हैं। निलंबन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी। हालांकि, निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायक सदन के भीतर ही धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि यह कार्रवाई “तानाशाही” का प्रतीक है और वे इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे।
कांग्रेस नेताओं ने इसे बीजेपी सरकार की “दबंगई” करार दिया। विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कहा, “जिस तरह दिल्ली में संसद में तानाशाही हो रही है, वही पैटर्न राजस्थान की भजनलाल सरकार अपना रही है। एक सम्मानित नेता पर अशोभनीय टिप्पणी की जाती है, लेकिन सजा हमें दी जा रही है।” दूसरी ओर, सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष ने जानबूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित किया और अराजकता फैलाई, जिसके चलते यह कदम उठाना पड़ा।
निलंबन और धरने के बाद अब सभी की नजरें 24 फरवरी को होने वाली अगली कार्यवाही पर टिकी हैं। विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वे इस मुद्दे को लेकर सड़क से लेकर सदन तक विरोध जारी रखेंगे। यह घटना राजस्थान की सियासत में एक नया तनाव पैदा कर सकती है, क्योंकि बजट सत्र के दौरान पहले से ही कई मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पर भी यह मामला गरमाया हुआ है, जहां कांग्रेस समर्थक इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे विपक्ष की नाटकबाजी करार दे रही है।









