Category: राजनीति

  • इंदिरा गांधी कांग्रेस की दादी टिप्पणी पर राजस्थान विधानसभा में मचा हंगामा

    इंदिरा गांधी कांग्रेस की दादी टिप्पणी पर राजस्थान विधानसभा में मचा हंगामा

    राजस्थान विधानसभा में अविनाश गहलोत की टिप्पणी पर विपक्ष का धरना शुरू
    राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 6 विधायकों का हुआ निलंबन

    राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को उस समय जबरदस्त हंगामा मच गया, जब राज्य सरकार के मंत्री अविनाश गहलोत की एक टिप्पणी पर विपक्षी विधायकों ने कड़ा विरोध जताया। इस टिप्पणी को लेकर सदन में नारेबाजी और शोर-शराबा शुरू हो गया, जिसके बाद मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने निलंबन प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव के तहत कांग्रेस के दिग्गज नेता गोविंद सिंह डोटासरा, रामकेश मीणा, अमीन कागजी, जाकिर हुसैन गैसावत, हाकम अली और संजय कुमार को बजट सत्र की शेष कार्यवाही से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही को 24 फरवरी, सुबह 11:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

    हंगामा तब शुरू हुआ, जब मंत्री अविनाश गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर एक विवादास्पद टिप्पणी की। विपक्षी विधायकों ने इसे आपत्तिजनक और स्तरहीन बताते हुए माफी की मांग की। कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी और गहलोत पर हमला बोला। विपक्ष का कहना था कि यह टिप्पणी न केवल असम्मानजनक थी, बल्कि देश के लिए शहीद हुईं इंदिरा गांधी की शहादत का अपमान भी थी। जवाब में सत्तापक्ष ने विपक्ष पर सदन की गरिमा भंग करने का आरोप लगाया।
    हंगामे के बीच मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने छह विपक्षी विधायकों के खिलाफ निलंबन प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। निलंबित विधायकों में कांग्रेस के बड़े चेहरे शामिल हैं, जिनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी हैं। निलंबन के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी। हालांकि, निलंबन के विरोध में कांग्रेस विधायक सदन के भीतर ही धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि यह कार्रवाई “तानाशाही” का प्रतीक है और वे इसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे।


    कांग्रेस नेताओं ने इसे बीजेपी सरकार की “दबंगई” करार दिया। विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने कहा, “जिस तरह दिल्ली में संसद में तानाशाही हो रही है, वही पैटर्न राजस्थान की भजनलाल सरकार अपना रही है। एक सम्मानित नेता पर अशोभनीय टिप्पणी की जाती है, लेकिन सजा हमें दी जा रही है।” दूसरी ओर, सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष ने जानबूझकर सदन की कार्यवाही को बाधित किया और अराजकता फैलाई, जिसके चलते यह कदम उठाना पड़ा।


    निलंबन और धरने के बाद अब सभी की नजरें 24 फरवरी को होने वाली अगली कार्यवाही पर टिकी हैं। विपक्ष ने संकेत दिए हैं कि वे इस मुद्दे को लेकर सड़क से लेकर सदन तक विरोध जारी रखेंगे। यह घटना राजस्थान की सियासत में एक नया तनाव पैदा कर सकती है, क्योंकि बजट सत्र के दौरान पहले से ही कई मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पर भी यह मामला गरमाया हुआ है, जहां कांग्रेस समर्थक इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, वहीं बीजेपी इसे विपक्ष की नाटकबाजी करार दे रही है।

  • अपने गिरेबान में झांकें’ पहले: मायावती का राहुल गांधी पर पलटवार, राजभर ने कांग्रेस-सपा को बीजेपी की ‘बी टीम’ करार दिया

    अपने गिरेबान में झांकें’ पहले: मायावती का राहुल गांधी पर पलटवार, राजभर ने कांग्रेस-सपा को बीजेपी की ‘बी टीम’ करार दिया

    लखनऊ, 21 फरवरी 2025
    बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की प्रमुख मायावती ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर तीखा हमला बोला है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ‘बी टीम’ की तरह काम किया, जिसके चलते राष्ट्रीय राजधानी में बीजेपी की जीत हुई। मायावती ने यह बयान राहुल गांधी के उस दावे के जवाब में दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर मायावती 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के साथ होतीं, तो बीजेपी की जीत संभव नहीं होती।

    एक्स पर एक पोस्ट में मायावती ने लिखा, “यह आम चर्चा है कि इस बार कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ‘बी टीम’ बनकर हिस्सा लिया, जिसकी वजह से बीजेपी सत्ता में आई। अगर ऐसा नहीं होता, तो कांग्रेस की हालत इतनी खराब न होती कि उसके ज्यादातर उम्मीदवार अपनी जमानत भी न बचा पाते।” उन्होंने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए कहा, “कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी को दूसरों पर, खासकर बीएसपी प्रमुख पर उंगली उठाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। यह उनके लिए बेहतर होगा।”

    मायावती का यह हमला गुरुवार को राहुल गांधी के रायबरेली दौरे के बाद आया, जहां उन्होंने दलित छात्रों से बातचीत में कहा था, “मैं चाहता था कि बहनजी (मायावती) हमारे साथ बीजेपी के खिलाफ लड़े, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हुआ। यह बेहद निराशाजनक था। अगर हम तीनों पार्टियां (कांग्रेस, सपा और बीएसपी) एकजुट होतीं, तो बीजेपी कभी नहीं जीतती।” राहुल के इस बयान ने मायावती को जवाब देने के लिए प्रेरित किया, और उन्होंने कांग्रेस पर दोहरे चरित्र का आरोप लगाया।

    ओम प्रकाश राजभर का कांग्रेस-सपा पर हमला

    मायावती के बयान को समर्थन देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने भी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधा। राजभर ने कहा, “कांग्रेस और सपा दोनों ही बीजेपी की ‘बी टीम’ हैं। ये दोनों समय-समय पर बीजेपी की मदद करते हैं। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी का साथ दिया। लोकसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस ने बीएसपी से गठबंधन की कोशिश की, तो सपा ने इसका विरोध किया। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को अकेले लड़ने के बजाय समझौता करना चाहिए था।”

    मायावती और राहुल की जुबानी जंग

    मायावती ने अपने एक्स हैंडल से लगातार कई पोस्ट कर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। उन्होंने राहुल गांधी के बयान को निशाना बनाते हुए कहा कि कांग्रेस का इतिहास और उसकी नीतियां हमेशा से दलित और पिछड़े वर्गों के खिलाफ रही हैं। दूसरी ओर, राहुल गांधी ने मायावती और बीएसपी के संस्थापक कांशीराम की भारतीय राजनीति में भूमिका की तारीफ की थी, लेकिन बीएसपी के इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखने पर सवाल उठाए थे।

    यह जुबानी जंग 2024 के लोकसभा चुनाव और हालिया दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद विपक्षी दलों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है। जहां बीएसपी ने लोकसभा चुनाव में अकेले दम पर लड़ाई लड़ी और कोई सीट नहीं जीती, वहीं कांग्रेस और सपा ने उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन के तहत 43 सीटें हासिल की थीं। अब दिल्ली में बीजेपी की जीत के बाद मायावती और राजभर जैसे नेता कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं।

    क्या है आगे की राह?

    मायावती का यह बयान न केवल कांग्रेस के साथ उनके तल्ख रिश्तों को उजागर करता है, बल्कि आगामी राजनीतिक समीकरणों पर भी असर डाल सकता है। वहीं, ओम प्रकाश राजभर का बयान सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन की मजबूती पर भी सवाल खड़े करता है। जैसे-जैसे 2025 आगे बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल अपनी रणनीति में कितना बदलाव लाते हैं। तब तक यह जुबानी जंग राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी रहेगी।

  • एल्विश यादव और प्रताप सिंह खाचरियावास के बेटे को होगी जेल ..?

    एल्विश यादव और प्रताप सिंह खाचरियावास के बेटे को होगी जेल ..?

    विवादित यूट्यूबर एल्विश यादव आजकल फिर से चर्चा में है ! कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास के बेटे के साथ एल्विश यादव का एक विवादित वीडियो वायरल हुआ है जिसे लेकर जयपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है ! जयपुर में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बेटे कृष्णवर्धन सिंह और विवादित यूट्यूबर एल्विश यादव का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया है। वीडियो में एल्विश दावा कर रहा है कि उसे जयपुर में 13 पुलिस थानों की एस्कॉर्ट मिली हुई है। अब जयपुर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया है।”

    इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि कांग्रेस नेता के बेटे कृष्णवर्धन सिंह कार चला रहे हैं और एल्विश यादव दावा कर रहे हैं कि उन्हें जयपुर में 13 पुलिस थानों की सुरक्षा मिली हुई है। वीडियो में पुलिस की गाड़ी भी साथ चलती हुई दिख रही है।”जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज ने बताया की यह वीडियो पुलिस की छवि खराब करने वाला है। हमारी जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि एल्विश यादव को किसी भी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई थी। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

    मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब 10 फरवरी को खुद प्रताप सिंह खाचरियावास ने अपने एक्स अकाउंट पर एल्विश यादव के साथ तस्वीर पोस्ट की। इससे जाहिर होता है कि खाचरियावास परिवार और एल्विश यादव के बीच करीबी संबंध हैं।”यह पहला मौका नहीं है जब एल्विश यादव विवादों में आए हैं। हरियाणा में उनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें नशीली दवाओं के सेवन और युवाओं को इसकी लत लगाने के आरोप भी शामिल हैं।”

    एडिशनल कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप सिंह ने बताया की “कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। पुलिस की छवि खराब करने का प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” “पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह वीडियो कब और कहां बनाया गया। साथ ही मामले की तह तक जाने के लिए विस्तृत जांच जारी है।”

    “जयपुर पुलिस की सख्ती के बाद अब सवाल उठता है कि क्या इस मामले में एल्विश यादव और खाचरियावास परिवार पर कोई और बड़ी कार्रवाई होगी? क्या एल्विश यादव के पुराने विवादों की भी जांच होगी? “क्या जयपुर पुलिस एल्विश यादव पर कसेगी शिकंजा? इन सभी सवालों के जवाब के लिए जुड़े रहें सत्यमेव न्यूज़ के साथ।

  • वसुंधरा राजे की बढ़ती ताकत और CM भजनलाल के खिलाफ साजिश

    वसुंधरा राजे की बढ़ती ताकत और CM भजनलाल के खिलाफ साजिश

    आज हम एक बेहद महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दे पर बात करेंगे, जो भाजपा की राजनीति को अंदर से हिला कर रख चुका है। भारतीय जनता पार्टी, जो अपने अनुशासन और मजबूत नेतृत्व के लिए जानी जाती रही है, अब अंदरूनी संघर्षों और गुटबाजी का शिकार हो रही है। खासकर, वसुंधरा राजे का गुट लगातार भजनलाल को कमजोर करने की कोशिशें कर रहा है।राजस्थान भाजपा में चल रही आंतरिक राजनीति में वसुंधरा राजे का गुट अब पूरी तरह से सक्रिय हो चुका है। एक तरफ जहां वसुंधरा राजे का नाम भाजपा की राजनीति में एक मजबूत खिलाड़ी के तौर पर उभर रहा है, वहीं दूसरी तरफ भजनलाल के गुट को लगातार उनकी बढ़ती ताकत के कारण राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। पार्टी के अंदर ये गुट संघर्ष ना केवल सत्ता की लड़ाई है, बल्कि यह पार्टी के भीतर चल रही घातक गहरी साजिशों का परिणाम भी हो सकता है।वसुंधरा राजे के समर्थक अब पार्टी की राजनीति पर काबू पाने के लिए पूरी ताकत से जुट गए हैं। उनके गुट में शामिल कई प्रमुख नेता और कई अन्य वरिष्ठ विधायक अब अपने समर्थकों के साथ भजनलाल के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। इन नेताओं का मानना है कि पार्टी की नीति और निर्णय प्रक्रिया पर उनका पूरी तरह से हक है। लेकिन इसके पीछे उनकी असल मंशा क्या है? क्या ये सिर्फ सत्ता की कुर्सी पर कब्जा जमाने की कोशिशें हैं, या पार्टी के असली उद्देश्यों से भटकने की ओर एक कदम बढ़ाना है?

    भजनलाल के गुट को अब वसुंधरा राजे के इन हमलों से एक बड़ा झटका लग रहा है। इस संघर्ष के कारण भाजपा के अंदर गहरे मतभेद पैदा हो रहे हैं। पार्टी के भीतर भजनलाल के गुट के नेताओं का कहना है कि वसुंधरा राजे का गुट पार्टी की एकता को तोड़ने की साजिश कर रहा है। इन नेताओं का आरोप है कि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पार्टी का असली उद्देश्य और राजनीति सिर्फ व्यक्तिगत फायदे के लिए हेरफेर हो रही है। इसके अलावा, पार्टी के सीनियर नेताओं की नज़रें सत्ता और पदों पर हैं, और इस संघर्ष से न केवल पार्टी की छवि को नुकसान हो सकता है, बल्कि पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में भी गहरी दरार पड़ सकती है।भजनलाल के गुट के नेताओं का यह भी कहना है कि वसुंधरा राजे के गुट की रणनीति पार्टी के अंदर सामूहिक रूप से संतुलन बनाए रखने की बजाय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके चलते पार्टी की एकता पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा की साख को कमजोर करने वाली ये राजनीति अंततः पार्टी को विभाजित कर सकती है, और अगर यह संघर्ष इस तरह चलता रहा तो इसका होने वाला प्रभाव बीजेपी को भारी पड़ेगा।

    वसुंधरा राजे के गुट और भजनलाल के समर्थकों के बीच यह लड़ाई अब केवल व्यक्तिगत नहीं रही, बल्कि यह पार्टी की रणनीतिक दिशा को भी प्रभावित कर रही है। भाजपा में इस समय जिस तरह के गुटबाजी और विरोधाभासी खींचतान चल रही है, उससे यह साफ होता है कि पार्टी की स्थिरता पर संकट मंडरा रहा है।अब सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा अपने गुटों के बीच इस बढ़ते संघर्ष को संभाल पाएगी या फिर यह आंतरिक राजनीति पार्टी की एकता को पूरी तरह तोड़ देगी? क्या वसुंधरा राजे के गुट को सत्ता में अपनी जगह बनाने का मौका मिलेगा, या भजनलाल के समर्थक अपनी स्थिति को मजबूत करने में सफल होंगे?

    भाजपा के भीतर यह आंतरिक राजनीति और गुटबाजी न केवल पार्टी के भविष्य के लिए, बल्कि राज्य की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। बीजेपी में चल रहे इस पूरे संकट का समाधान भी पार्टी के भीतर की राजनीति के समीकरणों पर ही निर्भर करेगा। हम आपको इस मुद्दे से जुडी हर अपडेट से अवगत कराते रहेंगे।

  • महाकुंभ में बीजेपी विधायकों की गैरहाजिरी क्या राजस्थान में होगा खेला ..?

    महाकुंभ में बीजेपी विधायकों की गैरहाजिरी क्या राजस्थान में होगा खेला ..?

    महाकुंभ में बीजेपी विधायकों की गैरहाजिरी बड़ा राजनीतिक संकेत ?

    विशेष सुविधाओं के बावजूद विधायक नदारद सीएम करेंगे कार्रवाई?

    महाकुंभ में अनुपस्थिति पर विधायकों से सीएम भजनलाल का सवाल

    पार्टी अनुशासन पर उठे सवाल तो बीजेपी विधायकों ने दी सफाई

    राजस्थान सरकार द्वारा महाकुंभ स्नान के लिए मंत्रियों और विधायकों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, लेकिन कुछ विधायकों की अनुपस्थिति अब चर्चा का विषय बन गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार को कोटा दौरे के दौरान गैरहाजिर विधायकों से सीधा सवाल किया कि वे प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ स्नान में क्यों नहीं पहुंचे।

    राजस्थान सरकार ने महाकुंभ स्नान के लिए मंत्रियों और विधायकों की हवाई यात्रा और विशेष स्नान की व्यवस्था की थी। इस यात्रा में मुख्यमंत्री के साथ कई मंत्री और विधायक शामिल हुए, यहां तक कि प्रयागराज में कैबिनेट बैठक भी आयोजित की गई। इसके बावजूद, कुछ विधायक इस यात्रा में शामिल नहीं हुए, जिसे लेकर सीएम भजनलाल शर्मा ने सार्वजनिक रूप से सवाल उठाए।

    रविवार को जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कोटा दौरे पर पहुंचे तो एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के लिए कई मंत्री, विधायक और अधिकारी मौजूद थे। इसी दौरान उन्होंने अनुपस्थित विधायकों से सवाल-जवाब किए।

    जैसे ही विधायक संदीप शर्मा स्वागत के लिए आगे आए, मुख्यमंत्री ने उनसे बिना देर किए पूछ लिया – “महाकुंभ में क्यों नहीं आए?” इस पर संदीप शर्मा ने सफाई देते हुए कहा कि वे शादी समारोह में व्यस्त थे, इसलिए नहीं जा सके।इसके बाद कल्पना देवी ने जैसे ही मुख्यमंत्री को बुके दिया, तो सीएम ने उनसे भी यही सवाल दोहराया। इस पर कल्पना देवी ने स्वीकार किया कि वे अनुपस्थित थीं। मुख्यमंत्री ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “आपको आना चाहिए था, हमें बता देतीं।”

    शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी सीएम की अगवानी करने वालों में शामिल थे। मुख्यमंत्री ने उनसे पूछा, “कब लौटे?” इस पर दिलावर ने जवाब दिया, “रात में ही आ गया।” मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा, “गाड़ी में ही सोते हुए आए होंगे!” इस पर दिलावर ने जवाब दिया कि वे रात 3 बजे पहुंचे थे।

    मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के इस सवाल-जवाब को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। यह सवाल उठ रहा है कि जब सरकार ने महाकुंभ जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के लिए इतनी विशेष व्यवस्थाएं की थीं, तो कुछ विधायकों ने इसमें भाग क्यों नहीं लिया? क्या यह पार्टी अनुशासन का उल्लंघन है, या फिर इसके पीछे कोई अन्य राजनीतिक रणनीति छिपी है?

    सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और वे अनुपस्थित विधायकों से आगे भी जवाब मांग सकते हैं। पार्टी के भीतर इस मामले को अनुशासनहीनता के रूप में देखा जा रहा है, और भविष्य में ऐसे मामलों में सख्ती बरती जा सकती है।कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन से अनुपस्थिति का मामला नहीं है, बल्कि यह भाजपा के आंतरिक समीकरणों का भी हिस्सा हो सकता है। क्या कुछ विधायक सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व से असंतुष्ट हैं? या फिर यह कोई दबाव की राजनीति है? यह देखने वाली बात होगी कि इस मुद्दे पर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व क्या फैसला लेता है।

    महाकुंभ स्नान जैसे महत्वपूर्ण आयोजन से गैरहाजिर विधायकों पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नाराजगी साफ झलकती है। यह सिर्फ धार्मिक आयोजन की उपेक्षा नहीं, बल्कि पार्टी अनुशासन के प्रति लापरवाही भी मानी जा रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर भाजपा के अंदर क्या चर्चाएं होती हैं और क्या कोई कार्रवाई होती है, इस पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।

  • हथकडियोंमे हिंदुस्थान, नहीं सहेंगे ये अपमान

    हथकडियोंमे हिंदुस्थान, नहीं सहेंगे ये अपमान

    संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले 104 भारतीयों को अपराधियों की तरह हथकड़ी और बेड़ियों के साथ अपमानजनक तरीके से उनके देश भेजे जाने के खिलाफ कांग्रेस, भारत अघाड़ी की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुलजी गांधी।सांसद प्रियंका गांधी, प्रणीति शिंदे और अन्य सांसदों की मौजूदगी में विरोध आंदोलन किया गया

    अमेरिका में रह रहे 104 भारतीयों को हथकड़ी लगाकर अपमानजनक स्वदेश वापसी के खिलाफ, कांग्रेस, इंडिया अलायंस के विपक्षी सांसदों ने नई दिल्ली में संसद भवन पर विरोध प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार की निष्क्रियता की निंदा की।उन्होंने ”भारतीयों का अपमान, भारत चुप नहीं रहेगा” लिखे बैनर के साथ सरकार पर विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। कांग्रेस इंडिया अलायंस के सांसदों ने निर्वासन की स्थिति पर तत्काल राजनयिक हस्तक्षेप और पारदर्शिता की मांग की।उन्होंने बढ़ती स्तलांतर समस्या पर सरकार की प्रतिक्रिया की कमी की भी आलोचना की और भारतीय प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत नीतियों का आह्वान किया।विरोध प्रदर्शनों ने भारत की वैश्विक स्थिति और उसके नागरिकों की गरिमा के बारे में चिंताएँ बढ़ा दीं।

  • कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को ‘फर्जीवाल’ कहा

    कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को ‘फर्जीवाल’ कहा

    लोकसभा चुनाव में AAP के साथ गठबंधन को बताया गलती. कांग्रेस नेता अजय माकन ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ‘देश का फ्रॉड किंग’ यानी सबसे बड़ा धोखेबाज बताया। माकन ने कहा कि अगर केजरीवाल को एक शब्द में परिभाषित करना हो, तो वह शब्द ‘फर्जीवाल’ होगा, क्योंकि उनके किए गए वादे और कार्यों में बड़ा फर्क है।यह बयान माकन ने दिल्ली कांग्रेस की ओर से आम आदमी पार्टी और भाजपा के खिलाफ जारी किए गए 12 पॉइंट के व्हाइट पेपर के दौरान दिया। इस व्हाइट पेपर का शीर्षक ‘मौका मौका, हर बार धोखा’ रखा गया है, जो पार्टी के अनुसार केजरीवाल और भाजपा की धोखेबाजी को उजागर करता है।अजय माकन ने यह भी कहा कि कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ गठबंधन करना एक बड़ी भूल थी, जिसे अब सुधारने की जरूरत है। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और पार्टी की आधिकारिक स्थिति से अलग हो सकती है।

    माकन ने यह भी कहा, “मुझे लगता है कि आज दिल्ली की जो हालत है और कांग्रेस की जो स्थिति कमजोर हुई है, उसका एक ही कारण है कि हमने 2013 में 40 दिन के लिए AAP को समर्थन दिया था।”

  • विवादस्पद स्क्रिप्ट: “सभापति धनखड़ पर विपक्ष का हमला – लोकतंत्र या तानाशाही?

    विवादस्पद स्क्रिप्ट: “सभापति धनखड़ पर विपक्ष का हमला – लोकतंत्र या तानाशाही?

    नई दिल्ली: राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी दलों ने खुला मोर्चा खोल दिया है। INDIA गठबंधन ने उन्हें पक्षपातपूर्ण और तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। आरोप है कि धनखड़ सदन को “बीजेपी का निजी मंच” बना रहे हैं।सभापति ने सदन में कहा, “देश के अंदर और बाहर से षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। ‘डीप स्टेट’ की जड़ें हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को खोखला कर रही हैं।” विपक्ष ने इस बयान को “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया और धनखड़ पर “संविधान के साथ खिलवाड़” का आरोप लगाया।सदन में माइक बंद करवाने, विपक्ष को बोलने से रोकने और विपक्षी नेताओं की आवाज दबाने के आरोपों ने राज्यसभा को युद्धभूमि बना दिया। जया बच्चन ने धनखड़ पर तंज कसते हुए कहा, “सदन का सभापति जनता की आवाज सुनने से डरता है।” विपक्ष ने “तानाशाही नहीं चलेगी” जैसे नारों के साथ धनखड़ की भूमिका को “गैर-संवैधानिक” बताया।विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष का ये कदम सत्तारूढ़ दल को गहरी चोट पहुंचा सकता है। बीजेपी नेता इसे “ड्रामेबाजी” कहकर खारिज कर रहे हैं, लेकिन विपक्षी नेता इसे “लोकतंत्र बचाने की जंग” बता रहे हैं।

    धनखड़ के ‘डीप स्टेट’ वाले बयान ने नई बहस छेड़ दी है। क्या विपक्ष इस मुद्दे को चुनावी हथियार बनाएगा? और क्या धनखड़ इस विवाद से उबर पाएंगे?

  • Adani पर Rahul Gandhi का ‘आशिक़ाना जुनून’ INDIA गठबंधन को ले डूबेगा?

    Adani पर Rahul Gandhi का ‘आशिक़ाना जुनून’ INDIA गठबंधन को ले डूबेगा?

    लोकसभा चुनाव 2024 के बाद राहुल गांधी का करिश्मा चरम पर था। कांग्रेस 54 से 99 सीटों तक पहुंच गई, जबकि बीजेपी 303 से घटकर 230 सीटों पर सिमट गई। हर तरफ राहुल की वाहवाही हो रही थी। Leader of Opposition बनने के बाद, राहुल ने संसद में प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला किया। अमेरिकी दौरे पर भी उन्हें मीडिया ने जमकर कवर किया। लेकिन, यह ‘सपनों का दौर’ ज्यादा लंबा नहीं चला।

    राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर ‘अडानी-अडानी’ राग छेड़ा, लेकिन जनता पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ। हरियाणा और महाराष्ट्र में कांग्रेस की शर्मनाक हार हुई, और इंडिया गठबंधन में दरारें साफ दिखने लगीं। CNN News 18 से लेकर Times Now तक सभी चैनलों पर यही खबरें थीं—“ममता बनर्जी बनाम राहुल गांधी,” “कांग्रेस का दबदबा घटा,” और “कांग्रेस-मुक्त INDIA” की अटकलें तेज हो गईं।
    रिपोर्ट्स के मुताबिक, गठबंधन के सहयोगी दल, जैसे कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP), राहुल की इस रणनीति से नाखुश थे। संसद का शीतकालीन सत्र बार-बार बाधित हुआ। SP और TMC ने राहुल गांधी के अडानी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से दूरी बना ली। Indian Express ने लिखा कि SP और TMC को संसद में अपने मुद्दे उठाने का मौका भी नहीं मिल रहा था।
    तृणमूल सांसद किर्ति आज़ाद ने संसद के बाहर बयान दिया कि “ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करना चाहिए।” Navika Kumar और अन्य मीडिया चैनलों ने इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताया।

    राहुल गांधी की हरकतें और रणनीतियां—जैसे संविधान की कॉपी हाथ में लेकर विरोध प्रदर्शन—भी जनता को लुभाने में असफल रहीं। हरियाणा और महाराष्ट्र में उन्होंने इन्हीं मुद्दों को चुनाव प्रचार में उठाया, लेकिन मतदाताओं पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा।

    Sunday Guardian की रिपोर्ट के अनुसार, हार के बाद गठबंधन में सहयोगी दल कांग्रेस के रवैये से असंतुष्ट हैं और रणनीति में बदलाव की मांग कर रहे हैं।राहुल गांधी ने दिल्ली के गाज़ीपुर बॉर्डर पर एक बार फिर संविधान हाथ में लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। लेकिन, क्या इस मुद्दे पर अड़े रहना कांग्रेस और INDIA गठबंधन को और नुकसान पहुंचाएगा?

    राहुल गांधी का “Adani obsession” अब कांग्रेस को उसके सहयोगियों से भी दूर कर रहा है। जहां एक ओर जनता महंगाई, बेरोज़गारी, और विकास जैसे मुद्दों पर जवाब चाहती है, वहीं कांग्रेस अब भी एक ही राग अलाप रही है—“अडानी, अडानी, अडानी।”

    क्या राहुल गांधी का ये ‘जुनून’ कांग्रेस को सत्ता में वापसी की राह दिखाएगा या इतिहास में एक और गलत कदम बनकर रह जाएगा?

  • राहुल और प्रियंका गांधी का विवादित दौरा: सांभल हिंसा पर सियासी संग्राम

    राहुल और प्रियंका गांधी का विवादित दौरा: सांभल हिंसा पर सियासी संग्राम

    उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर बॉर्डर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मौजूदगी ने भारी हंगामा खड़ा कर दिया। सांभल में हाल ही में हुई हिंसा के बाद दोनों नेता पीड़ितों से मिलने के लिए अड़े थे, लेकिन यूपी पुलिस ने उन्हें रोक दिया। करीब दो घंटे तक राहुल और प्रियंका बॉर्डर पर फंसे रहे, जिससे इलाके में 5 किलोमीटर लंबा जाम लग गया।

    स्थिति तब बिगड़ी जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों के बीच कहासुनी हो गई, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई। गुस्साई भीड़ ने कांग्रेस समर्थकों पर हमला कर दिया, जिसे काबू में करने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
    इससे पहले, 24 नवंबर को सांभल में एक विवादित सर्वे के दौरान जमकर हिंसा हुई थी। मुस्लिम समुदाय ने एक कोर्ट के आदेश पर जमाः मस्जिद का सर्वे रोकने की कोशिश की, जिससे पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया। इसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई पुलिसकर्मी घायल हुए।

    राहुल गांधी ने इस हिंसा के लिए सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बीजेपी पर “हिंदू-मुस्लिम के बीच दरार पैदा करने” और “सांप्रदायिक आग भड़काने” का आरोप लगाया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में तुरंत दखल देने की अपील की।
    इस घटना के बाद कांग्रेस और उसके गठबंधन साथियों के बीच खटास बढ़ गई है। समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों ने कांग्रेस की इस रणनीति से किनारा कर लिया है, जिससे विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में फूट के संकेत मिल रहे हैं।

    क्या राहुल गांधी का यह कदम कांग्रेस के लिए एक और राजनीतिक भूल साबित होगा, या वे सांप्रदायिकता के खिलाफ अपनी जंग को नई दिशा देने में कामयाब होंगे? फिलहाल, गाज़ीपुर बॉर्डर से निकले इस घटनाक्रम ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है।